“जिस फूल को वाहिद ऐ इक रोज़ ही जीना था, उस फूल को बक्शी है हयात हमने।“, that is Mr. Imran Ahmed, an itra craftsman’s take when someone says: you ruin beautiful flowers to make itra. सलीके से हवाओं में वो खुशबू घोल देते है,अभी कुछ लोग बाकी हैं जो मीठा बोल देते हैं, it’s…